“नक्सली “बताकर मुठभेड़ में मारे गए युवा के पिता ने छत्तीसगढ हाईकोर्ट से न्याय मांगा, सुरक्षा की गुहार लगाई

LiveLaw News Network

1 Feb 2018 6:31 AM GMT

  • “नक्सली “बताकर मुठभेड़ में मारे गए युवा के पिता ने छत्तीसगढ हाईकोर्ट से न्याय मांगा, सुरक्षा की गुहार लगाई

    पिछले साल नक्सली  बताकर पुलिस मुठभेड में  मारे गए 18 वर्षीय युवा के पिता सूलो  कश्यप ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपने बेटे के लिए न्याय और अपने परिवार के लिए सुरक्षा  की मांग की है। उनका आरोप है कि इस सुनियोजित हत्या के खिलाफ उनकी आवाज को चुप कराने की कोशिश हो रही है।

     इस महीने की शुरुआत में जस्टिस  गौतम भादुरी ने जगदलपुर पुलिस को मामले की सुनवाई लंबित होने के दौरान सुलो की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।  अपने बेटे अर्जुन की “ क्रूर और कोल्ड ब्लडेड” हत्या पर चुप रहने के लिए उत्पीड़न और दबाव की रणनीति और भूमि के प्रस्ताव का सामना करने के बाद बस्तर निवासी सुलो ने अदालत जाने के लिए साहस जुटाया।

     वकील निकिता अग्रवाल के माध्यम से दायर याचिका में उन्होंने बताया है कि कैसे अर्जुन को फरार नक्सली के रूप में ब्रांडेड किया गया और अगस्त 2016 में मार दिया गया था।

    आदिवासी सुलो ने कहा कि अर्जुन को 15 अगस्त, 2015 की रात पुलिस ने  घर से जबरन उठाया था। 16 अगस्त 2016 को बस्तर पुलिस ने दावा किया था कि 16 अगस्त 2016 की सुबह जिला के दरभा पुलिस स्टेशन की सीमा के तहत चंदमेता के जंगलों में माओवादियों के कमांडर अर्जुन को सुरक्षा बलों की  टीमों  जिसमें डीआरजी (जिला आरक्षित समूह), एसटीएफ (विशेष कार्यबल) और जिला बल शामिल थे, ने माओवादियों के साथ एक घंटे की गोलीबारी के बाद मुठभेड में मार गिराया।

    उन्होंने दावा किया था कि अर्जुन तीन प्रमुख घटनाओं में शामिल रहा है - 2014 में कामरार में सरकारी एम्बुलेंस पर एक विस्फोट  किया गया जिसमें सात जवान मारे गए जिनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के पांच जवान शामिल थे। मई 2015 में कोलेंग के एक पूर्व गांव सरपंच की हत्या और कंधार गांव के एक व्यक्ति की हत्या।

    अर्जुन लगभग 18 साल का था और एक मामले में पहले से नक्सली होने के झूठे आरोपों से जूझ रहा था जब मई 2015 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

    उस मामले में जगदलपुर कानूनी सहायता समूह द्वारा प्रतिनिधित्व किया जा रहा था और उस समय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने दिसंबर 2015  में उसे जमानत दी थी।तब से वो हर सुनवाई पर जेजेबी के समक्ष पेश हो रहा था और आखिरी बार कथित मुठभेड़ में मारे जाने से सिर्फ 20 दिन पहले वो पेश हुआ था।अर्जुन अपने पीछे अपनी विधवा और परिवार को छोड गया है। जगदलपुर कानूनी सहायता समूह ने बताया कि पुलिस ने उसे मारने के बाद दावा किया था कि वह एक फरार नक्सल था और उसके  सिर पर 3 लाख रुपये का इनाम  था जबकि जब उसे 2015 में गिरफ्तार किया गया था तो वो  एक स्कूल जाने वाला लड़का था।

    उसने 2013 में 9वीं कक्षा पास की जिसके बाद उसने  10 वीं बोर्ड की  परीक्षा देने के लिए फार्म भरा लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण परीक्षा में बैठने में असमर्थ रहा। वह 10 वीं कक्षा की पढाई पूरी करना चाहता था लेकिन 2015 में झूठे मामले में गिरफ्तारी की वजह से नहीं कर पाया।

     उसकी हत्या के बाद पुलिस कथित तौर पर दो बहनों समेत सुलो और उसके परिवार को परेशान  कर रही है।सुलो को कई मौकों पर हिरासत में लिया गया है और पुलिस द्वारा यातनाएं दी गईं।

     उन्होंने अब राज्य और उसकी एजेंसियों और स्थानीय पुलिस से किसी भी तरह के नुकसान से अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश मांगा है कि उन्हें उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए परेशान नहीं किया जाएगा। उनकी याचिका में यह भी कहा गया है कि "जब तक जांच पूरी हो न जाए, तब तक अपराध की गंभीरता को देखते हुए, याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा नामित और नामजद  कुछ आरोपियों को तत्काल निलंबित किया जाए और सुरक्षा बलों और पुलिस के साथ

    “  नक्सल विरोधी खोजबीन या मुठभेड़ अभियान " में हिस्सा लेने से रोका जाए।  सुलो ने अनुरोध किया है कि अर्जुन को मारने वाले ऑपरेशन से संबंधित रिकॉर्ड और उसके पोस्टमार्टम वीडियो को अदालत के समक्ष पेश किया जाए।

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