“ऑनर किलिंग” को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा केंद्र कानून लाए नहीं तो कोर्ट फैसला लेगा

LiveLaw News Network

16 Jan 2018 4:14 PM GMT

  • “ऑनर किलिंग” को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा केंद्र कानून लाए नहीं तो कोर्ट फैसला लेगा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह साफ कर दिया कि यदि कोई पुरूष और महिला विवाह करता है, तो कोई खाप पंचायत, व्यक्ति या समाज उनसे सवाल नहीं कर सकता।

    कोर्ट ने खाप पंचायतों को कानून अपने हाथों में लेने से रोकने के लिए कानून बनाने के लिए केंद्र की ओर इशारा किया।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा कि  खाप पंचायतों द्वारा इस तरह के विवाहों का विरोध करने और 'ऑनर किलिंग' करना गैरकानूनी है। बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर केंद्र कानून के जरिए खाप पंचायतों को रोकने में विफल रहता है तो अदालत इसे  खत्म करने के लिए हस्तक्षेप करेगी। कोर्ट ने कहा कि 2010 से ये याचिका लंबित है लेकिन केंद्र ने सुझाव नहीं दिए। क्या केंद्र इस मामले में गंभीर नहीं है ?

    कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि आंतरिक जाति या अंतर-कबीले (गोत्र) में शादी करने के लिए पारिवारिक सम्मान के नाम पर युवा जोड़ों के उत्पीड़न और हत्या को रोकने के लिए एमिक्स क्यूरी राजू रामचंद्रन  द्वारा दिए गए सुझावों पर सरकार का क्या पक्ष है। चीफ जस्टिस  ने कहा, "हम चिंतित हैं कि अगर कोई वयस्क लड़की या लड़का शादी करता है तो कोई खाप कोई व्यक्ति या कोई समाज उनसे सवाल नहीं कर सकता।  जब भी कोई लड़का या लड़की जो वयस्क हो, पर कोई सामूहिक हमला होता है, यह बिल्कुल अवैध है।"

    वहीं केंद्र की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद ने कहा कि सरकार महिलाओं की रक्षा और गरिमा के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में एक कानून लोकसभा में लंबित है।

    दरअसल बेंच ने 2010 में एनजीओ 'शक्ति वाहिनी' द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें  केंद्र और राज्य सरकारों को सम्मान के लिए अपराधों को रोकने और नियंत्रित करने की मांग की गई थी। इस मामले में वरिष्ठ वकील  राजू रामचंद्रन ने कहा कि  "यह वातावरण है।"

    खापों की इच्छाओं के विरूद्ध दंपतियों के परिवारों ही उनको मारने के लिए कदम उठा रहे हैं। वहीं एक हलफनामे में रोहतक के सर्व खाप पंचायत ने कहा था कि "सम्मान के लिए हत्याओं के मुख्य अपराधियों में खाप के प्रतिनिधि नहीं बल्कि प्रभावित जोड़ों के करीबी और प्रियजन खासतौर से अधिक लड़कियों के रिश्तेदार है जो सामाजिक दबाव का विरोध नहीं कर सकते इलाके और रिश्तेदारों के ताने नहीं सह सकते। खाप के आचरण और भूमिका को विनियमित करने के किसी भी प्रयास से सम्मान के लिए हत्याओं की घटनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। खाप अलग-अलग जातियों, धर्मों, पंथों या क्षेत्रों से जोड़ों से जुड़े विवाहों के खिलाफ नहीं है। खाप केवल गोत्र विवाह के खिलाफ है जिसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में संशोधन करने की मांग की थी, जो लोकतांत्रिक कानून है। उन्होंने कहा  कि कानून आयोग ने उनसे परामर्श किए बिना खाप की गतिविधियों को रोकने के लिए कदमों की सिफारिश की थी। बेंच 5 फरवरी को मामले की सुनवाई करेगी।

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