सुप्रीम कोर्ट ने स्लम पुनर्वास प्राधिकरण से मुकदमे में फंसे मुंबई के स्लम निवासियों के लिए आवास बनाने में मदद करने को कहा [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

4 Jan 2018 12:46 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने स्लम पुनर्वास प्राधिकरण से मुकदमे में फंसे मुंबई के स्लम निवासियों के लिए आवास बनाने में मदद करने को कहा [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) को निर्देश दिया है कि वह स्लम का विकास सुनिश्चित करे और इन बस्तियों में रहने वालों को रहने का उचित आवास मुहैया कराए। बिल्डरों और अथॉरिटीज के बीच मुक़दमे के कारण मुंबई की गंदी बस्तियों में रहने वाले 800 से अधिक लोगों के लिए घर मिलने का सुखद सपना एक बुरे सपने में तब्दील होता जा रहा है।

    स्लम में रहने वाले लोग जो कि उस जमीन के मालिक भी हैं, ने एक सोसाइटी गठित की और सुसमे बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड से एक समझौता कर उसको इस प्रोपर्टी को विकसित करने के लिए अधिकृत किया।

    इस बीच, सुसमे बिल्डर और जेजी डेवलपर्स के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। जेजी डेवलपर्स को सोसाइटी ने बाद में इस कार्य के लिए अधिकृत किया था। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्णा को यह पता लगाने को अधिकृत किया कि सुसमे या जेजी डेवलपर्स में से किसी को झुग्गी में रहने वाले 70 प्रतिशत लोगों की सहमति प्राप्त है कि नहीं। बाद में पता चला कि दोनों में से किसी भी बिल्डर के साथ लोगों की रजामंदी नहीं थी।

    न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि एसआरए को स्लम अधिनियम की धारा 13(2) के तहत सुसमे को दी गई अनुमति को वापस लेने और इस प्रोपर्टी को विकसित करने का अधिकार है।

    पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के इस विचार से सहमति जाहिर की कि उचित यह रहेगा कि जो भी पसंदीदा डेवलपर है उसकी योजना को स्लम में रहने वाले लोगों के सामने रखा जाए और अगर उसको 70 प्रतिशत निवासियों का वोट मिलता है तो उसकी योजना पर विचार किया जा सकता है और अगर उसे 70 प्रतिशत वोट नहीं मिलता है तो दूसरे डेवलपर के नाम पर विचार किया जाए।

    पीठ ने कहा, “प्रतिस्पर्धात्मक निविदा को नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि इससे डेवलपर्स स्लम निवासियों की खरीद-फरोख्त की कोशिश शुरू कर देंगे और यह पुनर्वास योजना के हित में भी नहीं होगा।”

    कोर्ट ने यह भी कहा कि जेजी डेवलपर्स ने सोसाइटी के सदस्यों से झूठे वादे किए थे कि वह उनको बड़े फ्लैट दिलाएगा और इस आधार पर उनकी सहमति प्राप्त की थी और इसलिए जेजी डेवलपर्स ने स्लम निवासियों के साथ जो समझौता किया है वह गैरकानूनी है और इसको लागू नहीं किया जा सकता। इस तरह जेजी डेवलपर्स भी इस योजना को आगे नहीं बढ़ा सकता। कोर्ट ने कहा कि दोनों में से किसी भी डेवलपर्स को किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा सकती।

    कोर्ट ने बाद में इस बारे में निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए :




    1. एसआरए इस आदेश के प्राप्त होने के तीन सप्ताह के भीतर बिल्डरों/डेवलपर्स की ओर से लेटर्स ऑफ़ इंटरेस्ट आमंत्रित करने के लिए कम से कम तीन ऐसे अखबारों (एक हिंदी, एक अंग्रेजी और एक मराठी) में विज्ञापन देगा जिनकी मुंबई में प्रसार संख्या अच्छी है। ये बिल्डर्स/डेवलपर्स ऐसे होने चाहिएं जिनके पास इस तरह के बड़े निर्माण कार्य करने का अनुभव और ऐसी क्षमता है।

    2. विज्ञापन संक्षिप्त में होना चाहिए पर इसमें सारे विवरण होने चाहिएं। इस प्रोजेक्ट का विवरण और और इस फैसले की कॉपी एसआरए के वेबसाइट पर उपलब्ध होना चाहिए।

    3. लेटर ऑफ़ इंटरेस्ट के आ जाने के बाद एसआरए यह निर्णय करेगा कि इनमें से सबसे अच्छा ऑफर कौन है। वह यह सुनिश्चित करेगा कि स्लम निवासियों को जो ऑफर दिया जा रहा है वह किसी भी तरह से पहले वाले बिल्डरों से मिले ऑफर की तुलना में उनके लिए घाटे का सौदा न हो – फ्लैट का एरिया, निर्माण की प्रकृति और अन्य उपलब्ध सुविधाओं की दृष्टि से यह उनके लिए पहले के ऑफर की तुलना में बेहतर होना चाहिए। एसआरए प्रस्तावों पर गौर करने के दौरान पार्टी/व्यक्ति के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखेगा – वह इस पार्टी/व्यक्ति की वित्तीय स्थिति पर गौर करेगा और इस तरह के व्यक्ति/पार्टी को इस बारे में सभी जरूरी दस्तावेज सामने रखने को कहेगा। अगर उसे कोई संदेह है तो एसआरए इस कोर्ट के समक्ष उपयुक्त आवेदन दे सकता है।

    4. इस परियोजना में दिल्स्चस्पी रखने वाले यह आश्वासन दे सकें कि उनके प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद वे एक महीना के भीतर अपनी योजना पेश कर देंगे और सभी संबंधित अथॉरिटी 15 दिनों में अपनी आपत्ति, अगर कोई है, तो दर्ज करा देंगें और बिल्डर को एक माह के भीतर इन आपत्तियों को दूर करने होंगे।

    5. इसके बाद संबंधित अथॉरिटी यह सुनिश्चित करेगा कि योजना को मूल योजना प्रस्तुत करने के दो महीने के भीतर स्वीकृति मिल जाए। सफल डेवलपर को योजना स्वीकृत होने के दो साल के भीतर इस परियोजना के एक हिस्से के सभी लोगों को पुनर्वासित कर देना होगा। जिसको इस कार्य का ठेका मिलता है उसे 200 करोड़ रुपए का बैंक गारंटी देना होगा। अगर वह इस पुनर्वास योजना की शर्तों का अकारण उल्लंघन करता है तो एसआरए को डेवलपर को नोटिस देने के बाद बैंक गारंटी नहीं लौटाने का अधिकार होगा।

    6. यह देखते हुए कि स्लम निवासी इस स्लम के मालिक भी हैं, डेवलपर्स को यह बताना होगा कि वह सोसाइटी के सदस्यों को नकद या किसी और तरह की कौन सी सुविधाएं देगा जिसमें अपने फ्री सेल एरिया में से अतरिक्त बिल्डअप एरिया देना शामिल है।

    7. एसआरए इस योजना की प्रगति की निगरानी करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि काम कोर्ट द्वारा निर्धारित अवधि में पूरा हो जाए।

    8. कोई कोर्ट या अथॉरिटी इस बारे कोई ऐसा आदेश पारित नहीं करेगा जिससे इस आदेश/निर्देश को लागू करने में बाधा उत्पन्न हो।

    9. सोसाइटी, इसके सदस्य, एसआरए और सभी संबंधित पक्ष उस बिल्डर/डेवलपर्स को परियोजना को पूरा करने में मदद करेगा जिसको यह कार्य सौंपा गया है और

    10. उपरोक्त आदेश को देखते हुए सभी लंबित मामलों को कोर्ट द्वारा तदनुसार निरस्त कर दिया जाएगा।


    Next Story