शादी के लिए हिंदू धर्म स्वीकार करने का दावा करने वाले मुस्लिम व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

13 Nov 2017 1:03 PM GMT

  • शादी के लिए हिंदू धर्म स्वीकार करने का दावा करने वाले मुस्लिम व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं [आर्डर पढ़े]

    केरल और राजस्थान तो अंतरधार्मिक विवाह के मामलों से निपट ही रहा था, इस बीच ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी आया है।

    एक मुस्लिम व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लेकर आया है कि उसने शादी के लिए हिंदू धर्म कबूल कर लिया है और एक आर्य समाज मंदिर में शादी रचाई है। लड़की के परिवार वालों ने हालांकि, उसके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराया है और आरोप लगाया है कि उसकी बेटी अवयस्क है और उसे अगवा कर लिया गया है। पुलिस ने दोनों को अलग कर दिया है।

    इसके बाद इस मुस्लिम व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की और दावा किया कि उसने विधिवत हिंदू धर्म स्वीकार किया है और उसे अपनी पत्नी के साथ रहने की अनुमति दी जाए।

    लड़की के पिता ने उसकी इस दलील का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता विधिवत धर्म परिवर्तन नहीं किया है और वह मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के अनुसार धर्म परिवर्तन किया है। इस अधिनियम में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया का उल्लेख है।

    इस दलील से सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति एके गोएल और यूयू ललित ने उसे किसी भी तरह की राहत देने से मना कर दिया और कहा कि शादी की वैधता अभी भी संदेह के दायरे में है।

    कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि “याचिकाकर्ता ने वास्तविक रूप से अपना धर्म परिवर्तन किया है या सिर्फ शादी के लिए क़ानून के अनुरूप धर्म परिवर्तन किया है यह स्पष्ट नहीं है और इसका फैसला होना है। इस बारे में किसी भी तरह का फैसला नहीं होने के कारण यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि शादी वैध तरीके से हुई है।”


     
    Next Story