आधार को लेकर सुनवाई नवंबर के पहले हफ्ते में करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र ने डेडलाइन 31 दिसंबर तक बढाई

LiveLaw News Network

30 Aug 2017 5:53 AM GMT

  • आधार को लेकर सुनवाई नवंबर के पहले हफ्ते में करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र ने डेडलाइन 31 दिसंबर तक बढाई

     जन कल्याणकारी​ योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में करेगा। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की डेडलाइन केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2017 तक बढा दी है।

    बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से AG ने ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी और कहा कि ये डेडलाइन 30 सितंबर से बढाकर 31 दिसंबर कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है। इस् सुप्रीम कोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा। हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से इस मामले की जल्द सुनवाई को कहा गया था।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था और आधार मामले को वापस तीन जजों की बेंच को भेज दिया था।

    केंद्र सरकार ने उस वक्त कहा था कि पब्लिक वेलफ़ेयर स्कीम  के लिए 30 सितबंर तक कि छूट दी है। जिसका मतलब है अगर 30 सितंबर के बाद पास आधार कार्ड नही होगा तो इन योजनाओं का लाभ नही मिलेगा।

    दरअसल इससे पहले संविधान पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।

    इससे पहले 17 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा था कि आधार को लेकर निजता के हनन समेत जो मुद्दे आ रहे रहे हैं उनका हल 5 जजों ली संविधान पीठ ही कर सकती है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता और केंद्र को कहा था कि वो मामले को चीफ जस्टिस के पास जाएं और संविधान पीठ के गठन की गुहार लगाएं सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल आधार को लेकर अंतरिम रोक संबंधी आदेश जारी करने से इंकार कर दिया था

    उधर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा था कि सरकार आधार को Concentration camp यानी एकाग्रता शिविर की तरह इस्तेमाल कर रही है ताकि वो एक जगह से ही सब नागरिकों की गतिविधियों पर नजर रख सके। वहीं AG के के वेणुगोपाल ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये शब्द सही नहीं है।

    गौरतलब है कि  जन कल्याणकारी​ योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

    याचिका मे कहा गया है कि केंद्र सरकार मिड डे मील, ठेका मजदूरों के लिए और राइट टू एजूकेशन और स्कालरशिप आदि में आधार को अनिवार्य करने का नोटिफिकेशन जारी किया गया है। ये सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत है इसलिए इन नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगनी चाहिंए। सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि जन कल्याणकारी​ योजनाओं को लाभ 30 सितंबर तक उन्हें भी मिलेगा जिनके पास आधार कार्ड नही है। केंद्र सरकार ने कहा था कि जिनके पास आधार नही है वो दस में से किसी भी दूसरे पहचान पत्र को दिखाकर जन कल्याणकारी​ योजनाओं का लाभ ले सकते है। जैसे राशन कार्ड, वोटर कार्ड आदि।

    दरअसल शांता सिंहा व अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कल्याणकारी​ योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। याचिका में कहा गया है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को जोड़ने के लिए सरकार ने डेडलाइन तय कर रखी है जो कि पूरी तरह अवैध है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।

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